न जाने लोग दुनियाँ में,क्या क्या सुना देते ।
पते की बात अपनी भी ,कहकर बता देते ।।
यह दुनियाँ अनोखी है, अनोखे लोग हैं इसमें ।
घुमा कर बात को अपनी,जो चाहे कह सुना देते।।
कला है लोग की अपनी, माहिर जो हुआ करते।
खोटी चीज को पैकिंग लगा, सुन्दर बना देते ।।
काफी पुरानी जो कहानी, भी कभी होगें सुने ।
नये अंदाज में कहकर ,तहलका ही मचा देतै ।।
दवा के नाम पर भी लोग ,क्या से क्या किया करते।
सत्तू कैप्सुल में भर , दवा का नाम दे देते ।।
संतुष्टी पर नहीं उनको ,इतने से हुआ करती ।
कमीशन डाक्टर को दे ,नुस्खे में लिखा देते ।।
दूध में पानी मिला ,जो बेंच देते थे कभी ।
मिला अनिष्ठ चीजों से ,दूध ही अब बना देते।।
मिला करते बजारों में ,मिष्ठान मेवा जो कहें ।
गायों-भैस का मावा भला उसमें कहाँ होते।।
अभी थै आदमी ही आदमी ,पैदा किया करते ।
जमाना आ रहा अब ,ट्यूब ही बच्चा दिया करते।।
जमाना आ गया विज्ञान का,बदलता जा रहा सब कुछ।
बदल कर आदमी अब क्या करेगा,कह नहीं सकते??
रहने को सभी मजबूर हैं , माहौल में ऐसा ।
अब तो चाह कर भी आप उसे,बदल नहीं पाते।।
लतीफे कुछ सुना कर आज ,शायर बन अगर जाते।
सिवा कुछ मसखरे के ,अन्य वे कुछ कर नहीं पाते ।।