हर चीज ही सुंदर हुआ करती.

संसार की हर चीज ही , सुन्दर हुआ करती ।

नजरिया देखनें की लोग की, अलग हुआ करती।।

सबों का सोंच अपना है, सबों का ढंग अपना है ।

किसी को कुछ, किसी को कुछ ,अलग पसंद अपना है।।

पसंद होना या न होना , ब्यक्तिगत चीज होती है।

नापसंद जो होती , बुरी वह भी न होती है ।।

‘ब्यर्थ की चीज है’, हरगिज ऐसा हो नहीं सकता ।

प्रकृति ने जो बनाई है , ब्यर्थ हो ही नहीं सकता ।।

ब्यर्थ जो हैं कहा करते , गंदा सोंच है उनका ।

समझने का परखने का , तरीका गलत है उनका ।।

प्रकृति ने जो बनाई है , मकसद हुआ करता ।

मकसद भी बनाने का , बुरा हो ही नहीं सकता ।।

भले मकसद बनाने का , समझ हम लोग न पाते ।

परिस्थियाँँ जब कभी आती , बात को तब समझ पाते ।।

समझ में जो नहीं आता , गलत उसको बता देते ।

खुद ही भूल कर ,इल्जाम औरों पर लगा देते ।।

मनुज की प्रवृत्ति यह नयी नही, काफी पुरानी है ।

सुनते सुनाते आ रहे , ऐसी कहानी है ।।

सब के सब यहाँ अच्छा , बुरा एकाध हो जाता ।

नयनों में लगा काजल ,क्या रौनक बढा देता ।।

प्रकृति ने जो बनाई है , सारी चीज अच्छी है ,

सबों का गुण अगर समझें ,तो कितनी बात अच्छी है।।

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