दोस्ती तो कीजिए , पर हर तरह से सोंच कर ।
हरगिज न जल्दी कीजिए ,आज दनियाँँ देख कर।।
युग नहीं अब रह गया , विश्वास के काबिल यहाँ।
ढ़ूँ ढ़ने लग जायेंगे , पायेगे पर थोड़ा यहाँ ।।
अब लोग बढते जा रहे , आवादियों की बाढ़ है ।
बात जिनकी हो कहेगें , उनसे दोस्ती प्रगाढ़ है ।।
दुहाई देगें दोस्ती की , यूँ ही किसी भी बात में ।
अवसर अगर कहीं आ गया , आ जायेगें औकात में।।
ढ़ूँढ़े नहीं मिल पायेगे , उन्हें खोजते थक जायेंगे ।
घर पर अगर उनके पहुँच गये , ताला लटकते पायेगें।।
गाढ़े समय गर पार हो गये , खुद ही निकल कर आयेंगे।
तगड़ा बहाना कुछ बना कर ,आप को बहलायेगें ।।
वक्त का है यह तकाजा , या समय का दोष है ।
अधिकांश ऐसे लोग आज , किसको कहेगें दोष है ??
मित्रता अनमोल होती , पर नक्कालियाँ भरमार इसमें।
दिखता तो बाहर से नहीं ,भीतर से फाँके तीन इसमें ।।
पर गलत गर मित्र मिल गये , नुकसान वह पूरा करेगा ।
डुबोयेगा मझधार में , लूट लेगा , जाँ भी लेगा ।।
सावधानी खूब बरतें , मित्र बनाने के लिये ।
भर जिन्दगी की मित्रता , उनसे निभाने के लिये ।।
गाढ़े समय में कर भला सब , भूल उसको जाइए ।
एहसान का बदला मिलेगा , दिमाग के मत लाइये ।।
डाल दें कचरे में उसको , मत उधर को देखिये ।
दूर आँखों से करें, कुछ चिन्ह भी मत छोड़िये ।।
ना कर्ण का अब है जमाना , ना जमाना कृष्ण का ।
वह जमाना अब नहीं , अब तो जमाना धूर्त का ।।
दोस्ती का स्वांग भर , उनको बनाते मूढ़ अब ।
पवित्रता को भंग कर की , दोस्ती बदनाम अब ।।