प्रेम बिन दुनियां न चलती , चलता नहीं संसार ये।
अजीब ये बन्धन है जो , बाँधे निखिल संसार ये।।
मिलते अनेकों जीव-जन्तु , वह भी बृहद प्रकार के।
देखा न हो शायद सबों को ,कोई आदमी संसार के।।
हिंसक हो , या वे हों अहिंसक, अधिकांश रहते झुंड में।
कस के बँधे वे सब हैं रहते , मजबूत बंधन प्रेम में ।।
बंधन भी चाहे कोई हो , दृश्य या अदृश्य हो ।
पर प्रेम का बंधन न दिखता , रहता सदा अदृश्य वो।।
विज्ञान साबित कर चुका , चुम्बकत्व के प्रभाव को ।
बातें समझंनें लोग लग गये , बंधन के हर प्रभाव को।।
बंधन अगर होता नहीं , ग्रह अक्ष पर चलता नहीं ।
सृष्टि हमें जो दिख रही , हम आप भी रहते नहीं ।।
दिन रात होता रोज दिन , बन्धन का ही प्रभाव है ।
नक्षत्र का दिखना अनवरत , नियम का स्वभाव है।।
और बातें ढ़ेर सारी , विज्ञान साबित कर दिया ।
बन्धन जरूरी की महत्ता , लोग को समझा दिया ।।
बंधन बिना संसार चलना , है कभी मुमकिन नहीं।
गर टूट जाये एक पल भी ,बिध्वंस रुक सकता नहीं।।
विज्ञान तो बतला रहा , हर चीज बंधन से बधी ।
एलेक्ट्रोन और प्रोटोन भी ,अपने ही बंधन से बँधी ।।
है अथाह शक्ति प्रेम में , झुकते हैं बँधकर लोग जिससे।
जो सर्वशक्तिमान होते, पडता है झुकना स्वयं उससे ।।
जिसने भी ये दुनियां बनाई , बाँधी जकड़ कर प्रेम से।
जल्द तो तोड़े न टूटता , यह भुजा के जोर से ।।