मुक्तक.

(01)

मुहब्बत चीज क्या होती , लोग जानतेकितने ?

पावन समर्पण की महत्ता ,लोग पर जानते कितने??

प्यार का अभिनय , अधिकतर लोग कर लेते ।

हवस को प्यार दिखलाकर , लोग को फाँसते कितने।।

(02)

प्रकृति की नुमाइश क्या कहें ,बेजोड़ हैं होते ।

चीजें जो बनाते , काबिले तारीफ हैं होते ।।

सम्पूर्ण दुनियाँ मान लें , दीर्घा बने होते ।

जहाँ पर चाहते जिनको ,वहींउसकोबिठा देते।

(03)

होता कर्म ही प्रधान , यह है ज्ञान गीता का ।

भटकी राम संग बन में , यह है त्याग सीता का।।

विकट घड़ी साथ जो न दे , पत्नी भला कैसी ?

रामायण पूर्ण ना होता , गये बिन संग सीता का ।।

(04)

देख कर पुष्प का सौंदर्य , अलि आशिक हुआ करते।

बैठ कर प्यार से उस पर ,उसका रस लिया करते ।।

आकर्षण रंग और खुशबू ,कुसुम के जाल हैं होते ।

फँसा लेते उसे इसमें , फिर रस का स्वाद हैं लेते ।।

(05)

किसी से दिल लगा कर देखिए तो ,प्रेम का एहसास होगा।

पवित्र पावन प्रेम का , अजब का एहसास हौगा ।।

दिल में अगर न प्रेम हो , घृणा का आवास होगा ।

धिक्कार ऐसी जिन्दगी , उमरा न जिसमें प्यार होगा ।।

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