नसीहत सब दिया करते, भले न जानते खुद हों ।
चलना सब सिखाते हैं , भले डग मारते खुद हों।।
दुनियाँ म़े जमाने से ,चलन है यह चला आता ।
वरना ‘नीम हकीम खतरे ‘, कहावत क्यों बना होता ??
कहीं पर बैठ लोगों में , समस्या कोई सुनाते हैं ।
सब लोग भी निदान उसका , झट बताते हैं ।।
समस्या हो कोई चाहे , न उसका फिक्र है करना ।
निदान भी झट से मिलेगा ,फकत बस जिक्र है करना ।।
विषय की मत करें चिंता , यहाँ हर लोग पारंगत ।
बैठे जो यहाँ सब हैं , हर वषयों से ये अवगत ।।
अपना प्रश्न कर देखो , हल मिल जायेगा सब का ।
उसमें भी नहीं यूँही , संग प्रमाण दे इसका ।।
कम्प्यूटर से अधिक जल्दी , यहां पर काम होता है।
बटन दाबें उधर अपना , इधर परिणाम मिल जाता ।।
भले फँस जाईए आगे , चिन्ता मत करें ज्यादा ।
पथ आगे बताने का , करेगें ये नया बादा ।।
यूँ चुटकी बजाते ही , ये सारा काम कर देता ।
समय लेता नहीं ज्यादा, सब का हल बता देता।।
फिर भी डूब ही गये हों , करें चिन्ता नहीं फिर भी ।
मत तोड़िये उम्मीद ,कहेगें वह नया कुछ भी ।।
यही उम्मीद ही है एक , जो दुनियाँ चलाती है ।
भले कोई काम न होवे , तसल्ली पर दिलाती है ।।
बुरा हरगिज नहींं मानें , नसीहत चीज अच्छी है ।
जीने के लिये जीवन , यही संबल भी अच्छी है ।।