मानव जिन्दगी एक बुलबुला , पानी का है होता ।
इसकी कब तलक हस्ती ,बताना कठिन है होता ।।
मानव जिन्दगी अनमोल है , अनमोल होना चाहिए।
इन मे ज्ञान का भंडार है , भंडार होना चाहिए ।।
मानव जिन्दगी जिसने रचा , क्या खूब रच डाला।
मष्तिष्क तेज दे डाला , ज्ञान भरपूर दे डाला ।।
हम कृतज्ञ हैं उनका , हमें कृतज्ञ होना चाहिये ।
मकसद पूर्ण करने का , पूरा ध्यान होना चाहिये ।।
सर्वोत्तम बनाया है हमें, उत्तम कर्म करना चाहिए।
जिसने है रचा उसका , मकसद पूर्ण करना चाहिए।।
ज्ञानी जन ढूंढ कर जो पथ दिखाया,चलना उसी पर चाहिए.
स्वयं चल कर लोग को, चलना सिखाना चाहिए ।।
मकसद क्या रहा होगा , यह भी ज्ञात होना चाहिए।
मकसद पूर्ण करनें का ,पूरा ध्यान होना चाहिए ।।
विवेक दे भेजा हमें , उससे काम लेना चाहिए ।
गलत कोई काम न हो जाये,, ध्यान देना चाहिए।।
जगत का श्रेष्ठ मानव जीव ,सुकर्म करता जायेगा।
जगत का कोई भी प्राणि, तब सुख चैन से रह पायेगा।।
नहीं कोई क्लेश होगा तब , ज्ञानी ही रहेगें सब ।
तो फिर प्रेम और सद्भावना का, गंगा बहेगा तब ।।
नहीं दैहिक ,नहीं दैविक , नहीं कोई ताप भौतिकता ।
बस बजेगी बंसुरी फिर , तो अमन चैन का ।।
बहेगी प्रेम की गंगा , जिसमेँ प्रेम की धारा ।
लगायेंगे सभी गोते , ये भारत देश है प्यारा ।।