न जाने क्यों डरा करते.

लोग दुनियाँ में न जानें             ,क्यों डरा करते ?

किसी के दमनकारी काम को भी ,क्यों सहन करते??

दमन को सहन कर लेना,उचित क्या काम होता है ?

मनोबल दमनकारी का, और बलवान होता है ।।

बढ़ता ही चला जाता , मनोबल दमनकारी का ।

हौसला प्रवल होता और ज्यादा,. अत्याचारी का ।।

भयंकर नाग के फण को ,कुचलना धर्म होता है ।

शत्रु को खत्म करना भी ,   उत्तम        कर्म होता हैं ।।

सुना करते नहीं पामर ,   प्यार से  पेश आने से ।

समझा वे नहीं करते,       कोई उपदेश देने से ।।

प्रथम प्रहार का उनका ,  सही प्रतिकार हो जाता।

तो सम्भव ही नहीं निश्चित ,  अत्याचार न बढ़ता  ।।

नजरें मोड़ कर तो दुष्ट से ,  निजात पाते हम गये ।

कारण यही है दुष्ट का  भी ,  हौसला अति बढ़ गये।।

बढ़ते गये ,बढ़ते गये ,   इतना  अधिक अब बढ़ गये ।

फिर तो आप पर.उनका , कब्जा समझ ही हो गये ।।

जुर्मी लगे अब जुर्म करने , भयभीत होते लोग गये ।

हाल फिर ऐसा हुआ ,  उनके नाम पर हम डर गये ।।

फायदा लग गये उठाने , उनके ही चमचे रात-दिन ।

रंगदारी ओर फिरौती , बढऩे लगी फिर रात-दिन ।।

चंगुल.में उनके फँस गये ,  जीना ही मुश्किल कर दिया ।

वह भूल हमसे आवरू भी     ,लूट कर के चल दिया ।।

रोना ही केवल बैठ कर,,      पर नहीं विकल्प इसका ।

मिल कर लड़ो ,उससे भि्ड़ो , मात्र है विकल्प इसका ।।

मिलकर लड़ोगे एक साथ ,     भागना उसको पड़ेगा ।

विकल्प इसका है यही ,      बस यही करना पड़ेगा ।।