जिन्दगी क्या नजारायें दिखा देती.

ये जिंदगी क्या क्या,    नजारायें दिखा देती ।

चाहे जब जिसे उसको ,क्या से क्या बना देती।।

मुकद्दर हैं जिसे कहते ,समय से सब बदल जाते।

कभी मुहताज जो होते, उन्हें सरताज मिल जाते।।

जिसे टुकडा़ समझ कर जिगर का,सर पर बिठा रखते।

अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ, उन पे लुटा देते ।।

कूकर्म चाहे कुछ भी हो ,उनके लियै करते  ।

करके पाप, ला कर माल , उनको ही दिये देते ।।

समय का चक्र तो चलता,समय जब बदल हैं जाते।

भरोसा था बहुत जिनपर, वही दुत्कार हैं देते ।।

यही समय का फेर , जो सबको नचा देते ।

वंचित कोई न इससे ,  सब नाचते रहते ।।

जिन्दगी का यह मजा ,सब लोग हैं लेते ।

समझ का फेर है ,चाहे जिस ढंग से लेते ।।

जो हँसना जानते हैं, जिन्दगी को हँस के जी लेते।

आये गम कभी तो , मुस्कुरा आगे  निकल जाते ।।

जो  रोना जानते हरदम, रोते सदा रहते ।

पूरी जिंदगी अपनी , रो कर ही बिता देते ।।

कुछ हँस के जीते हैं, तो कुछ रो के ही जीते ।

समय तो जिंदगी का सब का , निकल ही जाते।।

रोते जिन्दगी भर जो, कुछ ज्यादा नहीं पाते

लोगों की नजरों से , भी हैं वे गिर जाते ।।

जो  जीते स्वयं भी हँसकर ,औरों को हँसा रखते।

सफल है जिन्दगी उनकी, लोग का प्यार हैं पाते।।

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