जन्नत से आई हो उतर,या कहीं से आई हो ?
ऐ सनम इतना बता दो,तुम कहाँ से आई हो??
नाज,नखरें अदायें-कातिल, – जानें कहाँसे पाई हो?
ऐ हुस्न-परी,यह तो बता दो,उडा़ कहाँ से लाई हो??
कैसा कहूँ,तुम सा न कोई , तुम अनोखी चीज हो।
बेताब दिल उलझनमे है,तुम सच हो याकोई ख्वाब हो?
धोखा नहीं तो खा रही, टिकती न नजरें सामने ।
तुम हो कोड़ी कल्पना ,या तूँ दिवस का ख्वाब हो ??
दिल बडा़ उलझन में मेरा , मेरी समझ से दूर हो ।
सुलझा सकूँ शायद नहीं , कि तुम कहाँ से आयी हो।।
चैन से रह पाऊँगा , दे गर बता तूँ कौन हो।
सुकून तो मिल जायेगा, क्यों खड़ी तूँ मौन हो ??
धीरज भी टूटा जा रहा, बेताब दिल बेचैन है ।
देर कर मत चाहिए ज्यादा, दे बता तुम कौन हो ??..