बे पर्द कर देता.

जो डूबता गहराई में ,कुछ है वही करता ।
पर्दे जो पडे होते, उसे बेपर्द वह करता ।।

सारी चीज दुनियाँ की, नजर के सामनें होती।
नजर के सामने रह भी,नजर से कुछ नहीं दिखती।।

नजर गर देखती भी है, समझ पर है नहीं पाती।
है क्या बला,मस्तिष्क मे उनकी ,घुस नहीं पाती।।

देता जोर मस्तिष्क पर,उसे झकझोर भी देता ।
नहीं पर बात घुस पाती ,अधूरा ही समझ पाता।।

समझ में आ गयी बातें, तो मस्तिष्क शांत हो जाता।
सभी आई हुई परेशानियों का, अंत हो जाता ।।

जूझने की शक्ति, मानव में हुआ करती ।
अटल बिश्वास होता है, जिज्ञासा भरी होती ।।

रहस्यें गूढ होता पर,लोग कुछ जान है जाता ।
भिड़े जो ढ़ूढने में हों ,उसे पहचान ही जाता।।

मिला जो ज्ञान मानव को, बडा बेजोर है होता ।
चाहे जो दिया हो,शुक्रिया के योग्य है होता ।।

पक्का इरादा भर, बडा एहसान कर देता।
अटल बिश्वास से जब खोजता,पूरा भी कर देता ।।

असम्भव कुछ नहीं, मानव कभी जब ठान है लेता।
पूरा कर ही दम लैता, निश्चित पा उसे लेता ।।

नहीं रहमों करम के वास्ते, गिड़गिड़ा जाता ।
स्वाभिमान को अपना , सुरक्षित है सदा रखता।।

मनुज स्वाभिमान को अपना, सुरक्षित जो नहीं करता।
मानव कहाने योग्य वह खुद, को नहीं रखता ।।

अथाह है ब्रह्माण्ड, मानव जानता कितना ।
है अंश ही अबतक , जितना ज्ञान यह रखता ।।

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