जो बातें बीत गयी कब की,न जाने याद क्यों आती ?
गमों को भूल जो गये थे ,वे नस्तर क्यों चुभो जाती??
क्या थी दुश्मनी तेरी, मेरे दिल की सुकूनों से ।
दुखाते गर नहीं उनको,तो तेरी क्या बिगड जाती ??
कभी मैं चाहता हूँ जानना, मेरी क्या हुई गलती ?
समझ में कुछ नहीं आती, आखिर क्या हुई गलती।।
कुरेदे क्यों चले जाते, परत उपर जो पर जाती ?
दुखे रग को मसल देते,तो पीडा़ असह्य हो जाती ।।
बढा़ देते उसे हद तक, हदें भी पार कर जाती ।
सहन होगा भला कैसे ,समझ बिलकुल नहीं आती।।
किसे यह दर्द बतलाऊँ ,सुनेगा कोन ये पीडा़ ।
फुर्सत है किसे इतनी ,याद यह बात आ जाती।।
झिझकवस मैं नहीं कहता, उन्हें रोकूँ भला कैसे।
न कोई रास्ता दिखता ,गजब हालात हो जाती ।।
दबाये चाहता रखना ,बहुत मुश्किल दबानें मे.।
भय बिष्फोट करनें का , सताती ही सदा जाती ।।
जो बातें बीत गयी कब की,न जाने याद क्यों आती।
गमों को भूल जो गये थे,वो नस्तर क्यो चुभो जाती??
बहुत खूब लिखा है आपने।
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