जानें याद क्यों आती

जो बातें बीत गयी कब की,न जाने याद क्यों आती ?
गमों को भूल जो गये थे ,वे नस्तर क्यों चुभो जाती??

क्या थी दुश्मनी तेरी, मेरे दिल की सुकूनों से ।
दुखाते गर नहीं उनको,तो तेरी क्या बिगड जाती ??

कभी मैं चाहता हूँ जानना, मेरी क्या हुई गलती ?
समझ में कुछ नहीं आती, आखिर क्या हुई गलती।।

कुरेदे क्यों चले जाते, परत उपर जो पर जाती ?
दुखे रग को मसल देते,तो पीडा़ असह्य हो जाती ।।

बढा़ देते उसे हद तक, हदें भी पार कर जाती ।
सहन होगा भला कैसे ,समझ बिलकुल नहीं आती।।

किसे यह दर्द बतलाऊँ ,सुनेगा कोन ये पीडा़ ।
फुर्सत है किसे इतनी ,याद यह बात आ जाती।।

झिझकवस मैं नहीं कहता, उन्हें रोकूँ भला कैसे।
न कोई रास्ता दिखता ,गजब हालात हो जाती ।।

दबाये चाहता रखना ,बहुत मुश्किल दबानें मे.।
भय बिष्फोट करनें का , सताती ही सदा जाती ।।

जो बातें बीत गयी कब की,न जाने याद क्यों आती।
गमों को भूल जो गये थे,वो नस्तर क्यो चुभो जाती??

हो ,बता क्या तूँ?

कहता रहा कब से, थकता जा रहा हूँ अब ।
असर पडता नहीं तुम पर,कहीं बहरे नहीं तो तूँ??

आँखें देखती तेरी नहीं, क्या देख कर सब कुछ?न हिलती तक जुबाँ तेरी, –कहीं गूंगे नही तो तूँ ??

न सुनते आर्तनाद,चित्कार,उठे असकों के दर्द का जो
सब क्या लुट गयी संवेदना, पाषाँ नहीं तो तूँ ??

मानव आये हो बन कर,सबों से श्रेष्ठ जीवों मे ?
करनें कर्म श्रेष्ठों का सदा, कतराते नहीं तो तूँ??

बडा़ अजीब होता है जगत मे, जीव मानव भी ।
भरे विवेक होते हैं अधिक, बात को मानते तो तूँ??

मानव हो, रहो मानव,बनों मत अन्य चौपाया ।
महज कुछ ज्ञान सेहै श्रेष्ठता,नहीं क्या जानते हो तूँ??

दिखाओ कर्म कर ऐसा,जगत जो याद कर रखें।
युगों तक नाम लेते है, बात को जानते तो तूँ??

यों ,कूकर्म जो करते,उन्हें भी जानते सब हैं।
पर कुख्यात होते वे, उसे भी जानते हो तूँ।।

मानव सब नहीं जीते , केवल स्वयं की खातिर।
औरों के लिये कुछ लोग जीते, /मानते तो तूँ??

जो जीते और के खातिर,नहीं इन्सान वे केवल।
उन्हें इन्सान से उपर है दर्जा,मानते तो तूँ ??

नमन उसको सभी करते ,अपने सर झुकाते हम।
श्रद्धा का सुमन-माला,न उसको डालते हो तुम??