भवसागर पार करा दे नाविक.

भवसागर पार करा दे नाविक, सब को पार लगाते हो।
मुझे उस तट पर पहुँचा दो,सबको तुम ही पहुँचाते हो।।

अनजान डगर का हूँ मैं राही,तुमतो इसका निर्माता हो।
कहाँ रहस्य क्या छिपा दिया,तूँहीं तो केवल ज्ञाता हो ।।

तुम भवसागर का निर्माता, तूने संसार बनाया है।
ब्रह्मांड रचा,कुछ और बहुत,कोई समझ न अबतक पाया है।।

ऐ प्रकृति तेरा धन्यवाद, संसार तुम्हारी ही रचना ।
क्या क्या चीज बनाई तूँने,मुश्किल है यह भी कहना ।।

जितनी भी चीजें रच डाली,मुश्किल है गणन उसेकरना।
उपयोगी तो हे,मुश्किल पर, क्या उपयोग इसे करना ।।

पर ब्यर्थ नकोई चीज बनी, इसका भान सदा रखना ।
उपयोगी है हर चीजे सारी, ध्यान सदा देते रहना ।।

अतरीक्ष की चीज बनाई,धरती की हर चीज बनाई ।
सागर के अन्दर और बाहर,तूनेबिचित्र सबचीज बनाई।।

बहुत ज्ञान भर तूने, एक मानव जीव बनाया है।
इसने तेरा निर्माण अभीतक,समझ बहुत कम पाया है।।

ऐ प्रकृति आसान नहीं, तेरे गूढ़ रहस्य पाना ।
समय लगेगा और अभी,फिर भी है कठिन समझ पाना।

पर इतना तो तय है, कोई गुप्त शक्ति है अनजाना।
पर कौन शक्ति ,कैसी शक्ति,अति मुश्किल इसे बताना।

हरपल मे काम चला करता,पर लुप्त सदा रहते हो।
ऐ संचालक तुम ही जानो,क्यों ऐसा करते हो ??

तुम पार लगाते भवसागर,रह गुप्त नजर नहीं आते हो।
ऐ शक्तिमान ऐसा क्यों करते,छुपकर क्यो वाण चलातेहो

भवसागर पार करादो नाविक, सब को पार कराते हो।
मुझे उस तट पर पहुँचा दो,सब को तुम ही पहुँचाते हो।।

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s