आई बस मेरे लिये.

कोई चन्द्रमुखी उतरी गगन से,आई बस मेरे लिये।
कैसे करूँ सत्कार उनका,क्या करूँ इनके लिये ।।

तूनें किया एहसान मुझ पर,छोडा गगन मेरे लिये।
थी बात जन्नत की निराली,उतरी यहाँ मेरे लिये ।।

बसुंधरा भी त्याग सकती, तुम सनम मेरे लिये ।
झेल सकती कष्ट अनेकों, बेझिझक मेरे लिये ।।

हूर थी जन्नत की प्यारी, दिल रिझाने के लिये ।
ले दिल हथेली आयी तूँ, मुझ से ही मिलने के लिये।।

क्या करूँ मैं पेश तुमको, एहसानमंदी के लिये ।
दिल के सिवा कुछभी नहीं, रखा बचा तेरे लिये।।

करता हवाले आज इसको , ऐ सनम तेरे लिये ।
स्वीकार कर मेरा समर्पण , ऐ सनम मेरे लिए ।।

3 विचार “आई बस मेरे लिये.&rdquo पर;

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s