पले फूलो की सेज पर जो, गरीबी क्याभला जाने ।
बनी न माँ कभी जिसने , प्रसव का दर्द क्या जानें ??
रहे समवेदना जिनमें , वही महसूस कर पाते ।
जो पीडा झेल रखा हो , वही मतलब समझ पाते ।।
गरीबी चीज क्या होती , निकट जा कर जरा देखें ।
प्यार से बात कर थोडी , उनके दर्द तो समझें ।।
उनकी आँतरिक पीडा़ , तभी महसूस कर सकते ।
अपनी कल्पना में डूब , उनके दर्द समझ सकते ।।
बहुत गहराइयों में डूब कर, भी तो जरा देखें ।
गहराइयों में जा , उसे कुछ थाह कर देखें।।
जो उड़ते आसमाँ में , वे जमीं की बात क्या जानें ?
पत्थर चूभते भी पाँव में , परिंदे क्यों भला जाने ??
कृषक जैसे उगाते अन्न , दौलत मंद क्या जानें ?
कुत्ते घूमते हैं कार मे , जरा समझें ,जरा जानें ।।
ये कुत्ते भाग्यशाली हैं , गरीब इन्सान से ज्यादा ।
मिलती रोटियाँ इनको , मक्खन लगा ज्यादा ।।
कुछ तो नौकरें मिलते इन्हें, सेवा टहल करते ।
खिलाते हैं इन्हें खाना , भूखों स्वयं हैं रहते ।।
टपकते लार जिह्वा से , अधिकांश दोनो को ।
एक को आदतन ,पर एक को ,तो देख भोजन को ।।
कुत्ते को सुलाने को तो , गद्दे साफ मिलते हैं।
पर अपनें लिये तो मात्र ,बिस्तर टाट मिलते हैं ।।
कुत्ते पालनें वालों , गरीबी जानते भी क्या ?
गरीबी हैं किसे कहते , समझ आती तुझे क्या ??
किसी को प्यार देना चाहते , इन्सान को दे दो ।
बदतर जानवर की जिन्दगी से, बेहतर इसे कर दो ।।