फकीर देश के मंत्री बन गये, यू० पी० सी० एम०योगी ।
लगे बेचने दवा रामदेव, बन गये उनके सहयोगी।।
आशा राम बापू ने जम कर, ऐसा रास रचाया ।
अपने राजमहल में उसने, कितने ही गुल खिलाया।।
सम्मोहित हो गये देश के, सारे लोग लुगाई ।
जैसे वे कहते ,हम करते, बिन मीन-मेख के भाई ।।
युगों से ऋषियों ,मुनियों का ,होता आया सम्मान यहाँ।
पर नहीं संभाला राजकाज का ,खूद ही कभी कमान यहाँ।।
कलियुग का प्रभाव लगे,अब लोगों पर छा आया है।
अपने कामों को त्याग लोग, अन्यत्र ही नजर गड़ाया है।।
राज सुखो में डूब रहे हैं,मुनियों के सारे गिरोह ।
परपीड़ा क्या दूर करेगे, जिनमें कूट भरा हो मोह।।
साधू -संत हो धन के पीछे,सुना न होगा आप कभी ।
आकंठ इसी में डूब चुके हैं, पूर्ण रुप से आज सभी ।।
बदनाम किया उन लोगों को ,बर्बाद किया गरिमा उनकी।
गलत लोग मुट्ठी भर मिल,मिट्टी पलीद कर दी सब की ।।
धन भी दो, दौलत भी दे दो, सारे राज सुखों को दे दो ।
ऐशवर्य जहाँ के हैं जितने, सारे वैभव उनको दे दो ।।
भिक्षाटन कर करते थे, जीवन की भरपाई ।
धन संग्रह की मनोवृति कभी, उन्होनें नहीँ बनाई ।।
इस युग मे पहले जैसा ही, साधू नहीं रहे अब ।
बना आस्था पहले का,उसको भी खत्म किया अब।।