समय का जो रखते पहचान,रखता है जो सब का ध्यान ।
बैर न करता कभी किसी से,उचित देता सब को सम्मान ।
सब को जो आदर करते हैं,वही जीवन में बढ़ते हैं ।।
अपनें गैरों का भेद न रखते, सब के सब दिखते एक समान।
अमीर ,गरीब,राजा और रंक का ,नहीं रखते अलग पहचान ।
जो सब का आदर करते हैं ,वही जीवन में बढ़ते हैं ।।
जो मिलते जुलते हैं सब से , सुख -दुख में सामिल हो सबके ।
परमारथ में समय बिताते कुछ, अपनों सा भाव धरे सबसे ।
पर पीडा को ,जो समझते हैं,वही जीवन में बढ़ते हैं ।।
जो समय का आदर करते हैं ,इसे बर्बाद न करते हैं ।
अधिक काम में इसे लगाते, गप -शप में नहीं बिताते है ।
जो पहचान इसे कर लेते हैं, वही जीवन में बढ़ते हैं ।।
सो जाना तो खो जाना है, नहीं कोई इससे अनजान ।
जो जगते और जगाते हैं, वही मानव होता महान ।
जीवन मे जो अपनाते हैं , महान वही बन जाते हैं ।।
जो खुद पीडा़ को सह कर भी ,करते लोगों का है कल्याण।
वह मानव सिर्फ नहीं होते हैं, मानव में बडे़ महान ।
नेतृत्व सभी को वे करते ,मसीहा वे बनते हैं।।
अवतार कभी लेते हैं जग में, करने जग का कल्याण ।
सब का पीडा़ खुद सह लेते,पर जग का कर देते कल्याण।
पी कर जग का सभी गरल, मसीहा कहलाते हैं ।।
धन्य-धन्य होतुम अवतारी, धन्य तेरे सब काम ।
तूँने दर्शन दे धन्य किया, तुम कितने बडे़ महान।
तार दिया तूँने जग को, अवतारी कहलाते हैं ।।
“वही जीवन में बढ़ते हैं&rdquo पर एक विचार;