फगुआ (मगही)

कईसन रंग-गुलाल उड़ल हे,मस्ती भरल हे होली मे.
डुबल उमंग में जियरा सब के,रोके रुकत न होली में.
मस्ती भरल हे होली में ….

झलक रहल हे ,बोल से सब के,लाज न तनिको बोली में।
फागुन के जब रंगे चढल त, रोक टोक का बोली में..
मस्ती भरल हे होली मे….

बासंती रंग सजे गोरी पर ,सजल गुलाबी चोलीमें.
चुनरी भींगल,रंग में डूबल,यौवन,लुक झाँके चोली में.
मस्ती भरल हे होली में….

बाज न आवत करत ठिठोली,सब अपने हमजोली में.
जोश – उमंग के और बढ़ावत, ये गुण,भंग के गोली में.
मस्ती भरल हे होली में…

गावत फगुआ,ढोल बजावत,नाचत,मिल के टोली में.
देवर भाभी के साथ जमल हे,कोई हार,न मानत होली मे.
मस्ती भरल हे होली में…

ब्रज में होली खूब मचल हे,राधे – किशन की टोली में.
ग्वाल बाल सब किशन बनल हें, गोपियन, राधा होली म़े
मस्ती भरल हे होली में..

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