कुछ बोल दिया करते

दिल में रहती बातें कुछ, मुख से कुछ बोल दिया करते।
इन्सान आज की दुनियाँ मे,अक्सर ऐसा ही किया करते ।।

कथनी करनी में फर्क बडा़, मानव तो सदा किया करते ।
पर थोडे़ कुछ हैं ऐसे , जो कहते वही किया करते ।।

ऐसे लोगों की संख्या तो, काफी कम सदा हुआ करते ।
चाहे थोडे़ होते हों वो , जो होते ठोस हुआ करते ।।

प्रकृति का यह नियम पुराना ,अच्छे का ढेर नहीं होते ।
पत्थर तो बडा़ पहाड़ बना , रत्नों का ढ़ेर कहाँ होते ।।

धरती में पड़ेे खदानों से , कोयले तो ढ़ेरों मिल जाते ।
हीरे तो रहते संग उसी के , होते संयोग तभी मिलते ।।

विविध जानवर मिलते वन में, उनके तो झुंड बडे़ होते।
जगल का राजा शेर न ज्यादा,उनके झुँड कहाँ होते ??

हर दिन जो शोर मचाते हैं, गीदड़ तो झुंडों में होते ।
पर एक स्वान भी आ जाये, ये सारे भाग खड़े होते ।।

सारे जीवों से खतरनाक,मानव एक जीव हुआ करते ।
हँसते -हँसते डंस लेते कब , एहसास नहीं होने देते ।।

उपचार कराने का अवसर,उस पर भी नहीं दिया करते ।
जहर भरता है मीठा-मीठा , हर लेते प्राण तभी हटते ।।

जो जितने अच्छे होते , बुरा उतना ही बन सकते ।
विद्युत धारा सुख देता पर, एक चूक जान भी ले लेते ।।

कहना तो मुश्किल ही होता ,कब कौन काम में आ जाते।
सम्मान उचित सीखो देना, क्यों नफरत मन में लाते ।।

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