ऐ सरहद पर लड़ने वालों,भारत माँ के वीर जवानों।
गर्व देश करता है तुम पर, ऐ भारत के सच्चे रखवालों।।
चाहे सर्दी का तीक्ष्ण दंत हो , या गर्मी से तपती धरती ।
बारिश से जलमग्न मही हो,या मरूभूमि हो आग उगलती।
नहीं फर्क पड़ता है तुम पर, उल्टे मौसम के चालों से ।
लौट विघ्न वापस जाते, डर कर तुम सा मतवालों से।।
रोके भी रोक न पाये कोई, तेरे बढ़ते ठोस कदम को ।
कफन बाँध रखा जो सर पर, ऐसे पावन वीर व्रती को ।।
मस्त शेर सा सरहद पर ,दिन रात तूँ गश्त लगाते हो ।
नजर अगर आ जाये दुश्मन, झट से मार गिराते हो ।।
सारे सुख-वैभव त्याग डटे , रहते दिन- रात हो ऐसे ।
सिंह द्वार पर डटे सदा, रहते उन शेरों जैसे ।।
मत कर चिन्ता, दिन-रात तुम्हें, दुआएं हम देते हैं ।
तेरे पथ के चरण-धूल का, तिलक सभी करते हैं ।।
तुम सीमा पर जगते होते, देश तुम्हारा सोता है ।
सुख-शान्ति से, मजे-चैन से, तभी सुरक्षित होता है ।।
तेरे पावन कर्मों से ही, अमन-चैन से देश तुम्हारा।
रिपु की गोली तुम हो झेलते, तब सो पाता देश तुम्हारा।।
ऐ जवान तुम नहीं अकेले, सारा भारत साथ खड़ा है।
मिलकर तेरे कदम-चाल से, चलने को तेरे साथ खड़ा है।।
डटे रहो सरहद पर अपनी, हम सब साथ तुम्हारे ।
मेरे रग का हर कतरा भी, होगा साथ तुम्हारे ।।
जय जवान! जय भारत!