जागो रे इन्सान

कर्म अनेकों तुझे हैं करने, वक्त बडा़ बलवान !
नियत समय में पूरा करके , कर उनका सम्मान !
थोड़ा, जागो रे इन्सान !!

कर्म-कुकर्म में भेद बहुत है, कर उसका पहचान !
भला है क्या और बुरा है क्या, सही तरह से जान !
थोडा़, जागो रे इन्सान !!

कभी गलत कोई काम न करना, रहो सदा सवधान !
नहीं दुखाना दिल असकों का , मत बनना नादान!
थोड़ा, जागो रे इन्सान!!

बुरे काम में साथ न देना , ‘बुरा’ पाप का खान !
हत्या ,चोरी,घुसखोरी से , मिट जाता सम्मान !
थोड़ा, जागो रे इन्सान!!

लगन लगा कर्मों को करना, कर्म से बनों महान!
सत्कर्मों 
में लगे रहोगे, हो जग का कल्याण!
थोडा़, जागो रे इन्सान !!

हैवानों ने कहर मचाया, भ्रष्टाचार का राज सजाया!
क्यों उनकी 
चमचई करते, सोंचो खुद नादान !
थोड़ा ,जागो रे इन्सान!!

चोर इन्जोर नहीं सह सकता ,सच्चाई की करो बखान!
भाग खडे़ होगे वे सारे, हों चाहे कोई हैवान !।
थोडा़ ,जागो रे इन्सान!!

भ्रष्टाचारी की बात हो करते, बर्बरता उनकी तुम सहते!
यदि चाहते उसे भगाना, तो मिल, कर अभियान !
थोड़ा, जागो रे इन्सान!!

सोना तो खोना है होता, जितना जागा उतना पाता !
ज्ञान-चक्षु को रहो जगाये, रख सब का ही ध्यान !
थोडा़, जागो रे इन्सान!!

फुसलावे में मत फँस जाना, बहकावे में बहक न जाना!
छले गए बस आज तलक हैं, हम सब आम अवाम !
थोड़ा, जागो रे इन्सान!!

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s