हम हैं भारत के वासी , शान्ति के प्रवल पुजारी हम।
पर नहीं गलतफहमी में रहना, तनिक किसी से कहीं हैं कम।।
सम्मान किसी भी को देना , फितरत में रखते हैं हम ।
गौरवशाली इतिहास है अपना ,आदि काल से रखते हम।।
शेरों सा जीवन जीता हूँ, नहीं किसी का हमें है गम ।
करता हूँ सम्मान सबों को , सब का आदर करते हैं हम।।
पड़ोसी देशों का सम्मान , सदा से हम करते हैं ।
कदापि मतलब नहीं कभी , हम उन सबसे डरते हैं।।
यारों के तो यार हैं हम , गरदन अपनी दे सकते हैं ।
नीयत खराब करते उनकी ,गरदन उतार ले सकते हैं।।
‘जियो और जीने दो ‘का , पैगाम सदा हम देते हैं ।
‘बसुधैव कुटुम्बकम’ को ,जीवन में सदा उतारे रहते हैं।।
देता हूँ उपदेश न केवल , आचरण हमारी भी ऐसी ।
ज्ञानी -मुनियों ,संतों ने खुद , हमें बताया है वैसी ।।
सबसे रखता हूँ स्नेह , न कमजोरी इसे समझ लेना ।
मानवता के हम सभी पुजारी,कुछ गलत न इसे समझ लेना।।
मित्रता को कर दरकिनार ,दुश्मनी अगर है कर लेना ।
फल धृष्टता का पाने को , तैयार स्वयं को कर लेना ।।
सर कलम तेरे करने में मुझको ,दुख अवश्य है होना ।
पर मातृभूमि की रक्षा में , कर दूँगा जो हो करना ।।
सीधी बात बता दी हमनें , तुझे जो करना हो करना ।
सारी गलती होगी तेरी , अंजाम भुगतते रहना ।।