भारत और तिरंगा

ऐ भारत के वर्तमान, भविष्य काल के भारत ।
देख संभल कर रहना होगा, कहती है माँ भारत।।

पन्द्रह अगस्त का शुभ दिन आया,मैं हो गयी आजाद।
सन् उन्नीस सौ सैंतालिस को, कितने वर्षों बाद ।।

मैं जकड़ी जंजीरों से , थी बेड़ी पड़ी गुलामी की ।
मुख पर टेप सटी थी मेरी , पट्टी बंधी थी आँखो की।।

कितने लाल गंवायी हूँ मैं, कितने को दी है आहूति ।
कितने सीने छलनी हो गये, देखी फट गयी छाती ।।

फाँसी पर चढ़ गये कितने , उफ मुख से नहीं निकाला ।
हँसते-हँसते अपनी गर्दन में , फंदा फाँसी का डाला ।।

कितने घर बर्बाद हुए , कोई बचा नहीं रोने वाला ।
थे मरने को तत्पर बहुतेरे , कोई नहीं रोकने वाला ।।

कितने जान गंवाये बेटे , गिनती नहीं हुई है।
क्या क्या खोई है क्या बोलूँ ,आजादी तब पायी है।।

याद नहीं अब भूल रहे सब ,आजादी की कुर्बानी।
अवगत नये सपूतों को , करवानी होगी कुर्बानी ।।

माँ भारत, मत कर चिन्ता ,अवतार पुनः लेगें कुछ ऐसे।
भगत सिंह, आजाद, बोस और राजगुरु थे जैसे।।

कितनों ने दी कुर्बानी थी, तभी तिरंगा है फहरा ।
नमन हमारा है उनको , जिनके तप से झंडा लहरा ।।

भारत माता, स्वीकार करो , मैं तुझे नमन करता हूँ ।
तेरी सेवा,श्रद्धा में, सर्वस्व समर्पण करता हूँ ॥

भारत माँ, दो शक्ति मुझे,एहसान न तेरा मैं भूलूँ ।
सदा तिरंगा उड़े गगन में, मान  न करना मैं भूलूँ।।

माँ भारत का शान तिरंगा, भारतवासी की जान तिरंगा।
रग-रग भरता प्राण तिरंगा, जीवन का पहचान तिरंगा।।

जिसने भी दी कुर्बानी, उस जीवन का परिधान तिरंगा।
रुधिर दिया जो देश के खातिर, उसका है सम्मान तिरंगा।।

उड़ता रहे गगन में हरदम ,यह मेरा अरमान तिरंगा ।
तुझ खातिर कर सकता कुछ भी, देख माँग कर आज तिरंगा।।

तन,मन,धन है अर्पण तुझको,थाती मेरे पास तिरंगा।
अलग समझना मत अपनें से, सदा हूँ तेरे साथ तिरंगा।।