आये थे क्यों दुनियाँ में, कुछ करना था कर छोड़ चले ।
क्या फर्ज निभाया है अपना , या यूँ कुछ कर मुख मोड़ चले।
भूल भुलैया सी ये दुनियाँ, आ कर यहाँ भटक जाते ।
करना क्या था,क्या कर देते, अपनी राहों से हट जाते।।
मानवता का पथ छुट जाता ,कुपथ पर आगे बढ़ जाते।।
उन दिगभ्रमितों का क्या कहना ,गलत को सही समझ लेते।
उनको जहाँ पहुँचना था ,पर कहीं पर और पहुँच जाते।।
‘गलत काम का गलत नतीजा ‘ सच दिखने हैं लग जाते।
जिसने भी यह कथन कहा हो , सत्य नजर आने लगते।।
विवेक मिला मानव को ज्यादा ,काम न उससे क्यों लेते?
पहचान भले का या बुरे का ,नहीँ क्यो उससे कर लेते ??
वही मानव बिख्यात हुए,जिसने विवेक से काम लिये।
भला कौन है ?कौन बुरा है? सही उसका पहचान किये।।
बढ़ते सदा वही जीवन में ,जो विवेक से काम लिये ।
जग को नव-पथ दिखला कर ,जीवन में नया बहार दिये।।
तन मन की उर्जा को अपनी,दिशा जो सही प्रदान किये ।
वही विश्व में सदा चमकते,रौशन अपना नाम किये ।।
स्वयं चले सदराहों पर ,चल कर औरों को राह दिये।
जीवन पथ का दिग्दर्शक बन ,नूतन हमको पैगाम दिये।।
वही