दिल के दर्पण में , न कोई और नजर आयेगी ।
आओ खुद देख लो ,बस तूँ ही नजर आओगी ।।
तुम जो हो साथ, ये जगत, लगे अपना.सा है।
रहो न तू जो, जग व्यर्थ नजर आयेगी ।।
बना के भेजी गयी तू , बस मेरे ही लिये ।
खुदा का लाख शुकर , साथ अब निभाओगी।।
मैं एक चिराग हूँ, खाली सा, मिट्टी का बना ।
नेह और बाती तुम, दूर तम भगाओगी ।।
जिन्दगी ताल सी भरी मेरी, कोरे जल से ।
कमल का फूल बन तू , रंग तुम जमाओगी ।।
तेरे बगैर, इस जीने में, कोई सुवास नहीं ।
तुम जो पास हो, जीवन मेरा महकाओगी ॥ दिल के दर्पण में…..