गैरों ने की अदावत , कुछ बात समझ आती ।
अपनों ने की बगावत , फिर क्या कीजिए !?
गैरों जो सितम ढाते , सब लोग सम्हल जाते ।
अपनों की बदसलूकी , को क्या कीजिये !?
दुश्मनों ने युद्ध छेड़ी , बज गये हों रणभेड़ी ।
गृहयुद्ध भी संग छेड़े , तो क्या कीजिये !?
दिल में छिपा के रखा , दुनियाँ की बदनजर से।
वो दिल को तोड़ डाले , तो क्या कीजिये !?
स्तन का पय पिला कर , जीवन तुझे दिया जो ।
उस माँ को भी दे पीड़ा , तो क्या कीजिये !?
जो गुलबदन कहाती , फूलों से ज्यादा नाजुक ।
दिल तोड़ दे वही गर, तो क्या कीजिये !?
अनमोल हीरे होते , जो जान से भी प्यारे ।
वह जान ही जो ले ले , तो क्या कीजिए !?
भरोसा जो सबसे ज्यादा, हमें आज हो किसी पर।
भरोसा वही जो तोड़े , तो क्या कीजिए !?
दस्तूर भी दुनिय़ाँ का , है अजब अनोखा ।
आया, उसे है जाना , तो क्या कीजिये !?
इन्सान नासमझ है , सब छोड़ ही है जाना ।
फिर मोह में है डूबा , तो क्या कीजिये !?