नाराजगी भी क्यों भला ,अजी कुछ तो बोलियै ।
कुछ पल रुके, खामोश -से , और चल दिये ।।
माना खता हुई अगर, तो माफ कीजिए ।
या, सामने ही हूँ खड़ा, सजा दीजिये ।।
न तोड़ियै मरोड़ कर ,नाजुक बड़ा है दिल ।
चुपचाप बन के बेरहम , मसल ही दीजिये ।।
गिला नहीं होगी मुझे , कुछ आप से सनम ।
हो बेरहम, सितम करें , दया न कीजिये ।।
रूह भी जाये निकल , ये तन को छोड़ कर ।
देगी दुआ ये आप को , यकीन कीजिए ।।