जब थक जाऊँ पूर्ण रुप से ,दौड़ लगा कर इधर -उधर से।
नजर न आती दूर -दूर तक , कोई सहारा किसी ओर से।।
घोर निराशा मुझे दबोचे , रहता है जब चारों ओर से ।
घुटन से जब दबता जाता ,उबरना मुश्किल लगता उससे।।
बिवशता के पाशे में पड़ , तब सांसे रुकने लगती है ।
ऐ माँ, मुझे उस पल में , तेरी याद सताती है ।। माँ , तेरी याद बहुत आती है ।।
विकट समस्या जब आती , निदान नजर भी न आता ।
जीवन की नैया फंस जाती , कोई किनारा न दिखता ।।
भवसागर की उत्ताल लहर , लगता है मुझे डुबो देगी ।
काल-कराल गालों में अपनी , ऐसा लगे, समा लेगी ।।
राह नजर ना आती है , सब मार्ग बन्द लगता है ।
क्या करूँ , किधर मैं जाऊँ ,माँ समझ नहीं आता है । माँ , तेरी याद बहुत आती है।।
माँ मुझे छोड़ तुम चली गयी,मैं अपनी हाल पर रहा पड़ा।
जैसे -तैसे लावारिश मैं , ठोकर खाते हुआ बड़ा ।।
प्यार जो तेरे दिल में था माँ , कहाँ उसे मैं पाऊँगा ।
अपने दिल की अभिलाषा ,कह कर मैं किसे सुनाऊँगा।।
नहीं कमी तेरी ,मुझको, कोई भरपाई कर पायेगा ।
मेरे दिल का दर्द, न कोई , तुझ -सा समझ है पायेगा ।।
दुख जो हैं, मेरे दिल के , अब अमिट जान पड़ती है ।
मेरे साथ दफन होगी , सूरत ऐसी लगती है ।। माँ तेरी याद बहुत आती है।।