संविधान, भारत की शान

संविधान, भारत की शान , हम नमन सभी करते हैं ।

रचा महान ये संविधान , उनका वंदन करते हैं ।।

संविधान ये अद्भुत पा, यह देश निहाल हुआ है ।

प्रजातन्त्र दृढ़ हुआ, और यह देश महान बना है॥

तुम विद्वत, थे निष्ठावान, तुम सोच बड़ी रखते थे।

देशप्रेम से गुंथे, तेरे सर्वस्व राष्ट्र को अर्पित थे॥

तुम्हें नहीं हो भान, मगर तुमने वो काम किया है।

इस महान भारत को तूने, नव उत्कर्ष दिया है॥

उपकृत, कृतार्थ, तेरी संतानें, सदा याद तुझे करते हैं।

श्रद्धा के दो सुमन तुम्हें, हम सब अर्पित करते हैं।।

बड़े लगन और बड़े प्रेम से , तुमने है निर्माण किया ।

वतन के सारे संतानों पर, तुमने कितना ध्यान दिया।।

किया ख्याल हर तबके का, विकास करेगें सब कैसे ।

किसे मदद करनी होगी , लोग बढ़ेगे सब कैसे ॥

छोटे-बड़े, सभी मसलों पर , तुमने कैसे ध्यान दिया ।

बड़ी समझ व सदाचार से,  उनका ख़ूब निदान किया ॥

बाबासाहेब भीमराव, तुमने असाध्य को साधा ।

तेरे सहयोगी भी महान थे, नहीं रही कोई बाधा ।।

अथक परिश्रम आप सबों ने, कर संविधान बनाया ।

अपनी तत्परता से, दुष्कर काज, ये ससमय साधा ।।

देश का प्यारा शान तिरंगा, लहराता, भाता है।

मन-मस्तक में संविधान का, ध्यान चला आता है ।।

जब तक सूरज-चाँद रहेगा, भारत में तेरा नाम रहेगा ।

संविधान की बात उठे जब, तब-तब तेरा नाम उठेगा ।।

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