चले चाल को पस्त किया,रोक स्वयं के ढाल से ।
वार गये खाली दुश्मन के ,मोदी जी तेरे चाल से ।।
अर्थ व्यवस्था को बिगाड़ने ,पडा़ था पीछे कमर कसे ।
सोच रहा था भारत मानो , जैसे अब कुछ फंसे-फंसे ।।
मुक्त कराया देश को अपने ,इस शतरंजी खेल से ।
फेल हुए सब साजिश उनके ,तेरी गहरी चाल से ।।
पड़ा देश में काला धन था , उसे निकाला बाहर लाया ।
चोरो के जो माल गड़े थे , कुछ निकले, कुछ वहीं सडाया।।
था रोग बडा ही संक्रामक ,पर भागा दवा के जोड़ से।
कष्ट तो होता सहना पड़ता ,उस दवा की कड़वी घूँट से ।।
सहर्ष सहेगा देश इसे ,उफ तक भी नहीं करेगा ।
पी कर करवा घूँट ,देश को संकट मुक्त करेगा ।।
पर मोदी जी अपना वादा ,को भी जरा निभाना ।
स्वीस बैंक का भी पैसा ,जरा ला कर हमें दिखाना।।
हर देशवासी तेरा करेगा स्वागत, वादा नहीं भुलाना ।
बिश्वास किया और तुम्हे जिताया , तुम जो कहे, निभाना।।
बात बना कर बहुत बताया , दिखला अब अपने काम से ।
जनता तेरी कद्र करे , जयकार करे सम्मान से ।।