रूह वो गुमसुम रोता होगा, देकर ‘पाक’, तुम्हें यह नाम।
देख-देख क्या कहता होगा, तेरा सारा उल्टा काम॥
पाक नहीं, नापाक कहूँ, अनुरूप काम, तेरा होगा नाम।
‘पाक’ शब्द भी रोता होगा, तूने कर रखा बदनाम॥
नापाक इरादे हो रखते, नापाक काम सब करते हो।
आतंकवाद की फसल उगा, हिंसा फैलाते रहते हो॥
शांति-सद्भाव की फिक्र नहीं, बस ओछी हरकत करते हो।
आतंकी की फौज बना, इंसानियत से लड़ते हो॥
तुम द्वेष पड़ोसी से रखते, अपनी जनता को भरमाते।
भारत को अपना शत्रु बता, अपने अवाम को भड़काते॥
इतिहास देख लो, तुम भारत के सम्मुख कब टिक पाये हो।
जब भी तूने जंग लड़ी, भारत से मुँह की खाये हो॥
प्रगतिशील है देश हमारा, विकसित होता जाता है।
पहले विकसित कुछ देशों को, जरा नहीं भाता है॥
धन-बल देकर मूढ़ पाक को, हमसे सदा लड़ाता है।
इस मकसद से सदा पाक पर, दौलत खूब लुटाता है॥
सत्तालोलुप नेतृत्व पाक का, बात समझ सब पाता है।
अपनी ताज बचाने को पर, हमसे भिड़ जाता है॥
नामुराद है पाक, पुनः उसे धूल चटानी होगी।
समझाये न बात बने जब, उंगली टेढ़ी करनी होगी॥