नयन-नीर

नयन ने है पूछा अश्कों से, मुझको एक बताना बात.
जीवन भर का साथ हमारा, सदा पास रहते दिन-रात..
तेरा घर मेरे दिल में है, जहॉं प्रेम से से रहते हो.
तुझ से ही ज्योति है मुझ में, मुझे प्यार भी करते हो..
जो भी मै देखा करता हूँ, तेरा ही सहयोग है इसमें.
बिना तुम्हारे मैं अज्ञम हूँ, नहीं तनिक संदेह है इसमें..
पानी हैं कहते तुझको, कुछ नाम और भी देते हैं.
ऑसू, अश्क या और अनेकों, नाम तुम्हारा लेते हैं..
जो भी नाम पुकारे तेरा, तुझे फर्क क्या पड़ता है.
नहीं महत्ता घटता तेरा, और ऊपर ही बढ़ता है..
दिल की बात बता देती है, भेद नही छिप पाता है.
पढ़ने वाला बड़े मजे से, सभी भेद पढ़ जाता है..
यही हाल है अश्क तुम्हारा, दुख-सुख दोनों में आते.
खुल जाता है भेद तुम्हारा, कुछ भी नही छिपा पाते..
सुख हो, दुख हो, दोनों में तुम, जम कर साथ निभाते हो.
मित्र तुम्हीं हो सब से सच्चा, अदा फर्ज़ कर पाते हो..
जीवन भर जो साथ निभा दे, कहाँ मित्र मिलता ऐसा.
नयन और ऑंसू, दोनों में, निभा मित्रता है जैसा..
गलत कार्य कर ऑंख मिलाना, सम्भव नहीं कभी होता.
प्रायश्चित, ऑखों से ऑंसू, निकल मात्र ही हो पाता..
मन में भर गए मैल भी, ऑसू ही धो पाता है.
दिल में बैठे दर्द को, धो कर, स्वच्छ बनाता है..
रिश्ता बड़ा ही है पावन, नयन-नीर और नयनों का.
चोली-दामन का रिश्ता है, गाढ़ा प्रेम है दोनो का..
नयन-नीर, तुम जो ठानो तो, मही स्वयं हिल जाएगी.

तुम अमूल्य हो, मोल न तेरा, दुनिया क्या बतलाएगी..