माँ, मुझे तेरा प्यार मिला है

माँ तेरी हर बात मुझे, अच्छी ही लगती है।

तुम जो कुछ भी करती, मुझे लगती सदा सही है॥

जब से मुझको याद है माँ, तू वैसी की वैसी है।

तेरी ममता-प्यार में माँ, कोई अंतर ना दिखती है॥

बचपन की वो सारी यादें, आज भी जब मुझे आती है।

तेरी हर वो बात माँ, मुझको बच्चा-सा कर जाती है॥

सुबह-सवेरे हमें जगाना, प्यार से हमें सजाना।

जल्दी-जल्दी पका के भोजन, अपने हाथों से हमे खिलाना॥

मेरा मन न होने पर भी, प्यार से मुझे मनाना।

प्यार से भी जब न मानें, फिर डांट के मुझे खिलाना॥

जब भी मैंने कुछ मांगा, माँ मना किया क्या तूने।

अपनी ममता-प्यार से माँ, पुचकारा सदा ही तूने॥

तूने ही सन्मार्ग दिखाया, जीने की राह दिखाया।

तेरा ही प्रतिबिंब हूँ माँ, मैं तेरी ही हूँ छाया॥

मेरी ज़ेहन में तू ही तू, रहती प्यार लुटाती।

जीवन में आगे बढ़ने की, हिम्मत देती जाती॥

जब भी कोई मुश्किल आता, सामने तू दिखती है।

तेरे आने से माँ मुझको, ताकत अद्भुत मिलती है॥

जब भी तेरा आशीष पाऊँ, फूला नहीं समाता हूँ।

जीवन में सब मंगल होगा, अनुभव ऐसा पाता हूँ॥

जब – जब मैंने गलती की, माँ तूने माफ किया है।

तेरी एक नज़र ने ही, मेरा उपचार किया है॥

जब भी कोई निर्णय लूँ, तेरा ही ध्यान करूँ मैं।

सोचूँ, तुम क्या-कैसे करती, निर्णय वही करूँ मैं॥

तेरी गोद में सिर रख मैंने, जग सारा पाया है।

मैं कितना खुशकिस्मत हूँ माँ, मुझे तेरा प्यार मिला है॥