अरमॉं को, करीनें से सजा कर, किसे पेश करूँ.
बहुत ही नाजुक है, ये नाजुक, किसे पेश करूँ..
खोजता हूँ मै सदा, दर-दर, ठोकरें खा कर.
कहॉं नसीब मेरा, तेरा जो दीदार करूँ..
नजर तूँ आती सदा, हर वक्त, पर दूर कहीं.
सदा परेशां हूँ, कहाँ, कैसे तेरा दीदार करूँ..
क्यूँ न बन्द कर लूँ पलकें, बसा के दिल में तुझे.
न कोई राह बचे, क्यूँ न राह हर अवरूद्ध करूँ..
करे कोई लाख यतन, निकालने को दिल से तुझे.
निकल न पाओगी, इस बात को आश्वस्त करूँ..
न हो निराश तनिक, ऐ मेरे अरमाँ, दिल के.
पूरे होकर रहेंगे, इस बात का ऐलान करूँ..
अरमॉं को, करीने से सजा कर, किसे पेश करूँ.
बहुत ही नाजुक है, ये नाजुक, किसे पेश करूँ..
महीना: अप्रैल 2016
बाबा साहब भीम राव अंबेडकर
चलो आज हम नमन करें, उस बाबा साहब भीम राव को।
आजादी की लडी़ लड़ाई, न्योछावर कर खुद को॥
तीव्र बुद्धि ले जन्म लिया, भारत की पावन धरती पर।
धन्य हुआ यह देश, जहॉं तू, जन्म लिया जिस माटी पर॥
भीमराव था नाम पड़ा, होनहार उस बालक का।
देश के हित में ध्यान लगाकर, मान बढ़ाया भारत का॥
ग्रहण किये शिक्षा ऊँची, तुम तो विदेश में जा कर।
मुक्त गुलामी से करने को, भिड़ गये भारत आ कर॥
योगदान अनमोल दिये, तुम भारत की आजादी में।
पूर्ण समर्पित कर खुद को, इस देश की सेवादारी में॥
दिये देश को संविधान, तुम उत्तम इसे बना कर।
विविध तरह के सूझ-बूझ से, मिल कर इसे सजा कर॥
संविधान का पालन कर ही, देश महान बना है।
इसके दिखाये पथ पर चल, देश नए कीर्तिमान गढ़ा है॥
काम बहुत था शेष बचा, तुम पूरे जो कर पाते।
महाप्रयाण कर असमय ही, हमें छोड़ नहीं जो जाते॥
तुम छोड़ गये पर, यादगार बन, सदा रहोगे छाये।
आभारी है वतन तुम्हारा, स्मरण न कैसे आये॥
जब तक भारत देश रहेगा, तेरी चमक न कम हो पायेगी।
भारत की अगली हर पीढी़, तुम्हें भूल कभी नहीं पायेगी॥
ऐ भारत के अनमोल रतन, शत नमन देश करता है।
तेरे पद चिन्हों पर चलने, का यतन सदा करता है॥
यादों की यह माला तुझको, आज पहनाने आया हूँ।
अनुशरण करेगा देश सदा, मैं वादा करने आया हूँ॥
विघ्न से लड़ता चला गया
मै जिन्दगी भर, विघ्न से, लड़ता चला गया .
अपना बुलंद हौसला, करता चला गया ..
बाधायें कई आईं, दीवार बन के सामने.
रोकने को रास्ता, अड़ा खड़ा था सामने ..
विकराल रूप ले खड़ा, मिला था मग में सामने .
अंत मेरी जिन्दगी का, बन खड़ा था सामने ..
ललकारता, फटकारता, चिघ्घारता था सामने.
निर्भीक आगे मै सदा, बढ़ता रहा ही सामने ..
मेरे हौसले के सामने, पस्त वो होता गया .
मै जिन्दगी के ऱाह पर, मस्त हो बढ़ता गया..
मेरा राह था सन्मार्ग का, न्याय से उत्थान का .
विकास का अधिकार तो, होता है हर इन्सान का..
बाधायें थी तो राह में, जाना मगर जरूर था .
जूझकर, हर विघ्न से, पार पाना मगर जरूर था ..
घबरा कभी, रूका नहीं, बढ़ता ही चला गया.
जिन्दगी के राह पर, चलता ही चला गया ..
छूना है जब ऊँचाई को, तो हौसला रखो .
रूको न कोई विघ्न से, आगे सदा बढ़ो ..
बढ़ते चलोगे, रास्ता मिलता चला ही जायेगा.
अंजान कोई शक्ति तुझको, पथ दिखाता जायेगा ..
वक्त कितना भी हो मुश्किल, हौसले से काम लो .
‘चाह जहां, राह वहां’, कथन सही है, मान लो ..