बचपन मेरे मार्च 10, 2016 sachchidanandsinha द्वारा बचपन मेरे, इतना बता, क्यों याद यूं आते हो तुम. दिल के भरते जख्म को, कुरेद फिर जाते हो तुम.. बचपन की बातें और थी, तब पज्ञी था, उड़ता गगन में. उन्मुक्त था, जाउँ जिधर, दिल सदा रहता मगन मे.. जवाबदेही क… Source: बचपन मेरे