महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आप सबों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ यह गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है, आप सब को अच्छी लगेगी।
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भोले बाबा, भोले बाबा, सच ही हो तुम भोले.
खाते तुम कुछ और नहीं, लेते बस भंग के गोले..
रहते कैलाश पर, हिमालय पहाड पर.
संग माता पार्वती, बसहा सवार कर..
जहॉं कहीं जाते भोला, संग माता पार्वती.
अर्धॉंगिनी तेरी, मॉं मेरी, सदा तेरे संग होती..
चंदा सोहे सिर पर तेरा, जटे गंगाधार हो.
लपेटे भभूत तन में, नागों का हार हो..
भोले, बिना पार्वती, तुम भी अधूरा हो.
शिव-शक्ति दोनों मिले, तभी होते पूरा हो..
एक कर में डमरू सोहे, एक तिरशूल से.
नटवर का नट लीला, देखो मशगूल से..
भोले बाबा, तू तो सदा, वन में ही वास करते.
रहते जैसे जनजाति, वैसे निवास करते..
कितनी है शक्ति तुझमें, कोई नहीं जानता.
सर्व शक्तिमान तुम हो, सब है ये मानता..
थाह कहाँ पाता कोई, तुम तो अथाह हो.
उसे भी उबार लेते, लगे जो तबाह हो..
मंथन से, सागर के, अमृत-हलाहल मिले.
सब चाहें अमृत, हलाहल फिर कौन पिये..
भोले बाबा, तू ही बस, हलाहल का पान किया.
कंठ में सजा के इसे, दुनिया को त्राण दिया..
भोले बाबा दानी औघर, मांगो वही दान देते.
भले कभी ऐसा कर, खुद ही परेशान होते.. भोले०