बनाने वाले, ज़रा बता दे, मैं क्या बोलूँ।
छिपा क्या राज इस दिल में, भला मैं क्या खोलूँ॥
रिश्ता एक नहीं, हैं अनगिनत रिश्ते तेरे।
तुम्ही से जन्म लिया, मा-बाप भी तुम्हें बोलूँ॥
तुम्ही हो बंधु मेरे, तुम ही सखा मेरे।
तुम्ही अनुज मेरे, बता मैं क्या बोलूँ॥
तुम्ही हो शक्ति मेरी, मैं असक-विवश सा हूँ।
तेरे बगैर हूँ लाचार, बता मैं क्या बोलूँ॥
तुम्ही तो सूर्य मेरे, चाँद भी तुम्ही मेरे।
ये चमक-दमक भी तेरी, बता मैं क्या बोलूँ॥
तेरा एहसान मुझ पर, तूने जो बनाया मुझे।
सिला एहसान का क्या दूँ, बता मैं क्या बोलूँ॥
छुपा भी क्या है भला, कुछ भी तो नहीं तुमसे।
कोई पर्दा है अगर, बता किस तरह फेकूँ॥
करो वही जो सही, दिल को भाता तेरे।
दे दो बस शक्ति मुझे, राह तेरे चलता ही चलूँ॥
कोई शिकवा न मेरी, कोई शिकायत भी नहीं।
करो जो मर्ज़ी तेरी, क्यों मैं प्रतिरोध करूँ॥
तुम करो जो भी, भला ही हो करते।
तेरी हर बात है भली, बता मैं क्या बोलूँ॥