आसमान से गिरते जमीं पे, हमने कुछ को देखा है।
उठ कर गिरते, फिर उठ जाते, ऐसे भी कई देखा है॥
गिर पड़ना ओछी बात नहीं, जो गिरता वही संभलता है।
मिला नहीं ठोकर जिसको, वो सुख का रस नहीं पाता है॥
बहुत लोग जीवन में अपने, काम बड़े कर दिखलाए हैं।
कठिन बहुत श्रम जीवन में कर, खुद को बहुत तपाये हैं॥
बड़ी यातना सह, जीवन में, पहुँच वहाँ तक पाये हैं।
बाधाओं से लड़-भिड़ कर, वे मंजिल अपनी पाये हैं॥
संघर्ष किये वे जीवन में, वे झुके नहीं बाधाओं से।
कठिनाई को गले लगाया, जूझे हर अवरोधों से॥
अटल लगन व सत्य की निष्ठा, जीवन के हर पल में अपना।
रोम-रोम में भरा जोश हो, दिल में कुछ करने का सपना॥
दीवाना अपने धुन में, मुड़ पीछे कभी न देखा जो।
गंतव्य मिला, फिर भी जीवन में रुकना नहीं गवारा हो॥
बढ़ते गए निरंतर पथ पर, जिस पथ का कोई छोर नहीं।
दिन–रात लड़े बाधाओं से, कभी संग कोई, कभी कोई नहीं॥
उफ़्फ़ तक नहीं किया उसने, हर बाधा गले लगाया।
संघर्ष निरंतर किया कठिन, तब ही इतना बढ़ पाया॥
बिना कर्म मिलता क्या जग में, श्रम जो करे, वो पाता है।
संघर्ष-परिश्रम करे न जो, वो खाली हाथ रह जाता है॥
जीवन में आगे बढ़ना हो, तो बाधाओं से लड़ना सीखो।
चरित्र तुम्हारा हो निर्मल, व अविरल आगे बढ़ना सीखो॥
नहीं सका है रोक अभी तक, कोई हिम्मत वालों को।
अवरोधक भी सहयोगी बन, करते मदद दीवानों को॥
सत्य-कर्म, संघर्ष-लगन का बल, क्या होता, देखा है।
बढ़ते जमीं से आसमान तक, हमने कुछ को देखा है।