जिंदगी का सफर

जिंदगी का सफर, अनोखा सफर है।

रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा, और अनोखा डगर है॥

कभी है चढ़ाई, उतरना कभी है।

कभी मग में कींचड़, तो धूल कभी है॥

कभी है सुगम भी, कभी विकट है।

कभी लंबी दूरी भी, कभी निकट है॥

कभी रेंग चलना है, दौड़ना कभी है।

कभी है गरजना, तो मौन कभी है॥

कभी है सहारा, असहाय कभी है।

कभी तो उपकार है, आभार कभी है॥

कभी तो दुलार है, दायित्व कभी है।

कभी है जुदा सा, अपनत्व कभी है।

कभी है समर्पण, लोभ कभी है।

कभी है खुशी, तो क्षोभ कभी है॥

कभी बोझ ऋण का है, कभी उऋण है।

उतर न पाये ऋण बस, माँ–बाप का जो है॥

खुद भी जियो, दूसरों को भी दो जीने।

कथन है अनूठा, कहा है किसी ने॥

सबका भला कर, सको कर तू जितना।

सहारा निर्बल का, सको बन तू जितना॥

इससे बड़ी कुछ न, होती कमाई।

जीवन का सच यह, सुनो मेरे भाई॥

पड़ी आज दुनिया है, दौलत के पीछे।

मची होड-सी है, मिले चाहे जैसे॥

बिकने को बैठे हैं, लगा अपनी कीमत।

है बदली हुयी आज, इन्सां की नीयत॥

क्यों हैं भूले, ये दौलत, कुछ काम नहीं आये।

सम्मान जो कमाया, बस साथ तेरे जाये॥

जिंदगी का सफर, अनोखा सफर है।

रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा, और अनोखा डगर है॥