ऐ मेरे बचपन बता दे, क्यूँ मुझे धोखा दिया।
छोडकर, चुपचाप मुझको, जाने तू, कब चल दिया॥
हम वक्त-बेवक्त साथ थे, हर बात में हम साथ थे।
शायद हो कोई ऐसा पल, जिसमें नहीं हम साथ थे॥
साथ मिल, थे खेलते, थे साथ गाते, गुनगुनाते।
सुख रहे या हो कभी दुख, साथ हरदम हम निभाते॥
जाता जहां, तुम साथ जाते, छाया सा रहते साथ तुम।
जीवन जिएंगे साथ में, ऐसी थे क़रते बात तुम॥
फिर न जाने क्या हुआ, तुम त्याग क्यूँ मुझको गए।
धीरे-धीरे, पर प्यार से, तुम काटते मुझको गए॥
जब होश आया, तुम न थे, तुम चल दिये थे, त्याग कर।
न सूचना, न कोई इशारा, गए दूर हमसे भाग कर॥
बेरहम इतना बताते, क्या हुयी थी भूल मेरी,
क्या बिगाड़ा था तुम्हारा, चीज़ क्या कोई ली तुम्हारी॥
स्मृति शेष केवल है बची, अब पास क्या फिर आओगे।
ऐ मेरे बचपन बता तू, लौट क्या कभी पाओगे॥
दब चुका हूँ बोझ से, छोड़े हो जब से साथ तुम।
स्वच्छंदता खोयी मेरी, शायद, गए ले साथ तुम॥
तुम चले गए, वयस्क बन, और मैं यहा जीता रहा।
इस जहाँ का घूंट कड़वा, चुपचाप मैं पीता रहा॥
हर कदम पड़ जूझना, पड़ता मुझे कठिनाई से।
दो-चार होने को सदा, तत्पर रहूँ, कठिनाई से॥
बन गया है अब सबब, कठिनाई, मेरी जिंदगी में।
मैं न करता फिक्र अब, घबराऊँ कब तक जिंदगी से॥
जब तलक है जिंदगी, बस याद तेरी आएगी।
तूने दिया सुख-चैन जो, बस याद बन रह जाएगी॥
ऐ मेरे बचपन बता दे, क्यूँ मुझे धोखा दिया।
छोडकर, चुपचाप मुझको, जाने तू, कब चल दिया॥