बनाने वाले जरा, बता दे, तूँ बस इतना।
भरा जहर है इस दुनिया में, तूँ क्यूँ इतना॥
बड़ी हसीन सी, ये दुनिया बनायी तूने।
हसीन जहाँ में मगर, भरा क्यूँ जहर इतना॥
नज़र यूँ आती नहीं, दिल में छुपा क्या है।
दिख पर जाती कभी, अंदर है मैला कितना॥
तूँ न भेजा होगा, जहर से भरा ये मन।
भरा फिर आ के यहाँ, रोके भी रुकता कितना॥
किया जो कोशिशें, नाकाम सब गया इतना।
न असर जहर का घटा, मर्ज बढ़ गया कितना॥
आज नकली, भी दिखता है, असली इतना।
सही-गलत का, पहचान है कठिन कितना॥
तुम्हीं पे छोडता हूँ, बस करो रहम इतना।
असर जहर भी करे, तो कर सकें सहन इतना॥
नहीं कसौटी मेरे पास है, क्षमा करना।
किया हवाले, तेरी चीज, तूँ समझ अपना॥
बनाने वाले जरा, बता दे, तूँ बस इतना।
भरा जहर है इस दुनिया में, तूँ क्यूँ इतना॥