तो दुनिया में जीना आसान हो जाये

भले-बुरे का जो, पहचान आ जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥

स्वार्थ भरी दुनिया में, स्वार्थी हैं लोग।

परमार्थी को कहते, बकलोल, सारे लोग॥

ऐंठते है लोग, कसी करते हैं छींटा।

सीधा–सादा जान कर, दिखाते हैं नीचा॥

लोगों को एक दूजे का, सम्मान आ जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥

काना-फूसी करते हैं, भ्रम हैं फैलाते।

निंदा कर दूसरों का, लुत्फ़ हैं उठाते॥

लगाते छोटी बातों में, मसाला, नमक, मिर्ची।

देखते हैं लोगों को, नज़र कर के तिरछी॥

लोगों में बात का, गुमान आ जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥

कौन है पराया, और, कौन अपना।

संभव नहीं है, भरोसे से कहना॥

अच्छे जब दिन हों, सब अच्छे हैं लगते।

बुरे भी जो होते, हैं भले से वो दिखते॥

अपने-पराये का, पहचान जो आ जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥

चहकते हैं लोग, पर दिल में भरे शोले।

दिखते हैं भोले, पर हैं बारूद के गोले॥

कनक के कलश में, सदा सुधा ही न होता।

कनक का कलश भी, है गरल भरा होता॥

सुधा और गरल का, पहचान आ जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥

निराली ये दुनिया, निराले हैं लोग।

आततायियों को मस्का, लगाते हैं लोग॥

करते हैं लोग, बेईमानों का कद्र।

दुष्टों को आज, लोग कहते हैं भद्र॥

डकैती भी करके, जो दौलत बनाते।

प्रताड़ित न होते, प्रतिष्ठा हैं पाते॥

ऐसी ये दुनिया, उलट भी जो जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥

कहता ये सिन्हा, नसीहत न देता।

सुनो बात मेरी, गर मन तेरे भाता॥

सुन लो सभी का, करो मन का अपना।

कहे मस्तिष्क तेरा, वही काम करना॥

भुलावे में मत पड़, दमक पर न जाना।

कठिन आज है, अपना दामन बचाना॥

खड़े हैं, ठगी को, सारे ठग घेर तुमको।

झपके पलक, ले कर, चंपत होने को॥

कींचड़ में दामन तेरा, बेदाग जो रह जाये।

तो दुनिया में जीना, आसान हो जाये॥