बहुत सोचता हूँ, कहाँ तुम मिलोगे,
मेरे दिल की बातें, तुम कब सुन सकोगे।
सुनाना बहुत है, शिकवा है तुमसे,
तमन्ना यही, कब कहूँ, कैसे, तुमसे॥
बेचैन दिल है ये, मिलने को आतुर,
कसक दिल का, मिलकर बताने को आतुर।
कण-कण में बसते तू, संसार तेरा,
भंजन सृजन का, भी है काम तेरा॥
बनाते तुम्हीं हो, मिटाते भी तुम ही,
भला या बुरा, सब कराते हो तुम ही।
मिलोगे भी मुझसे, मुझे क्या पता,
तेरा दर्शन भी होगा, मुझे क्या भला॥
हो अल्लाह या ईश्वर, तेरा नाम है,
सबका कल्याण करना, तेरा काम है।
न देखा किसी ने, पर विश्वास करते,
तेरी भक्ति व श्रद्धा से, सिंचित हैं रहते॥
अपना दीदार, क्षण भर ही, मुझको करा दो,
दिल में हसरत यही है, बस पूरी करा दो।
फिर न बाकी बचेगा, और कोई तमन्ना,
यह जीवन लगेगा, कोई प्यारा सा नगमा॥