मुक्तक – 7

1॰ भ्रष्टाचारी का लोग क्यों बहिष्कार नहीं करते,

उन्हें इज्जत हैं देते, क्यों तिरस्कार नहीं करते।

जाने क्यों, लोग भ्रष्टाचारियों की, तरफदारी हैं करते,

प्यार उनसे तो नहीं, पर शायद उनकी दौलत से हैं करते॥

२॰ इंसान आज चापलूसों को प्यार देता है,

और, स्पष्ट बोलने वालों को दुत्कार देता है।

उसे भूल का एहसास भी तब होता है,

जब वह खुद उनके जालों का शिकार होता है॥

३. आज बेईमानों को लोग मस्का लगाते हैं,

देख जमाने का रंग, उनका चमचा बन जाते हैं।

हद तो तब होती, जब जनता को बरगलाते हैं,

और बेईमानों को, तर्क दे, खुदा बताते हैं॥