1) अबलों को खूब सताती दुनिया,
सबलों को नहीं सता पाती ।
जो डरते उन्हें डराती दुनिया,
निडरों को नहीं डरा पाती ॥
2) जो भिड़ने की हिम्मत रखता,
निर्भीक बना जो रहता है ।
रहती दुनिया सहमी उनसे,
आघात न उनपर करती है ॥
3) नियम पुराना है प्रकृति का,
कोई तोड़ भला कैसे पाये ।
जो अपनी रक्षा करे नहीं,
कोई बचा उसे कैसे पाये ॥
4) हर मुश्किल से संघर्ष करे, यह
क्षमता ले मानव आया है ।
सोच-समझकर ही प्राकृति ने,
यह अद्भुत जीव बनाया है ॥
5) अपना काम किए जा अविरल,
उसका (प्रकृति का) काम, करेगा वो ।
उत्तरदायी तुम अपना बन,
उसका स्वयं बनेगा वो ॥
6) सृजनकर्ता है सृजक तेरा भी,
सदा सहायक रहता है।
झुकता जो नहीं, समय के आगे,
साथ सदा उसके रहता है ॥