सरस्वती वंदना

करता हूँ माँ शारदा,

नमन दोनों कर जोड़,

कृपया करें स्वीकार माँ,

इतनी विनती मोर I

देना माता ज्ञान मुझे,

कर सकूँ तेरा गुणगान,

रखना लाज बचा कर सब की,

रखना सब का मान I

बहुत बचायी  हो माता,

तू  बड़े-बड़ों की लाज,

किस्ती मेरी मझधार बीच है,

इसे बचा लो आज I

विमल ज्ञान देना माता,

मैं विमल करूँ सब काम,

करती तो तू  है सब कुछ, पर,

मेरा होता नाम I

बता भला क्या कहूँ तुझे,

तू माता मैं संतान,

बिन मांगे सब दे देती हो,

नहीं तू है अनजान I

देना ज्ञान सबों को माता,

जन-मन में तू, भर आलोक,

अज्ञानों  का तिमिर मिटा दो,

चमका दो, सारा लोक I

तू ब्रह्माणी, पत्नी ब्रह्म की,

ज्ञान का तू भंडार,

आसन  तेरा कमल पुष्प का,

विद्या का आगार I

हंसवाहिनी, श्वेत वस्त्र,

करद्वय में लेकर वीणा,

झंकार करो उन ज्ञान सुरों का,

मानव जिनसे, सीखे जीना I

सुन लो मेरी विनती इतनी,

ओ माता, वीणापाणी,

ज्ञान भरो, हर मानव जिससे,

बोले तेरी ही वाणी I

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