चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
आते हैं गुंडे लफंगों के संग,
सीधे-सपाटों को करते हैं तंग I
हुड़दंग मचाते हैं, गाली सुनाते हैं,
लोग देख-देख रह जाते हैं दंग I
साथ नहीं देते हैं, देख, बढ़ते जाते हैं I
न करते विरोध, उल्टे फब्तियां चलाते हैं II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
लुच्चों का नाम लेते ,
कहते दबंग हैं I
तलवे सहलाते रहते ,
रात-दिन संग हैं I
भाई-भैया कहते हैं, करते हैं सेवा I
चाटुकारी करते जो, पाते हैं मेवा II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
अपना सम्मान इन्हें ,
लगता न प्यारा I
कैसे हैं लोग, देखो,
लगते हैं न्यारा I
कहते हैं शान से, अपने ही राज है I
भाई ने लात मारा, इसमें क्या लाज है II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
न पढ़ा है, न लिखा है,
भाई गँवार है I
पढ़े-लिखों पर फिर भी ,
भाई का राज है I
इसीलिए कहता हूँ, मूर्खों से ताज है I
इस प्रजातंत्र में,अनपढ़ का राज है II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
लूट-पाट लाते हैं ,
दौलत बनाते हैं I
वोट वे, खरीद कर ,
नेता बन जाते हैं I
जो न देते वोट, उनका जीना मुहाल है I
कर देते तंग, उनका जीना हराम है II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
खाड़ी का कुर्ता-पाजामा सफ़ेद है ,
जूता-मोजा, बंडी, सारा सफ़ेद है I
कपड़े सफ़ेद सारे, पर दिल है काला ,
रात- दिन हैं, करते रहते घोटाला I
काले दिल वालों की, लम्बी जमात है I
दिन के उजाले में, बड़ी-बड़ी बात है II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
काकों का राज यहाँ ,
हंसन बेचारा I
गायों का खा जाते ,
छीन कर चारा I
संसद, विधायकी में, काकों का राज है I
हंस बैठा बेचारा, कोने में आज है II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II
जनता और नेता ,
बिकाऊ बने सारे I
जो न बिकते-खरीदते ,
वे जाते हैं मारे I
चुनाव हार जाते, होती लानत-मलामत I
उनके परिजनों पर भी, आती है आफत II
चमचागिरी कीजिये, चमचों का राज है I
गुंडे-मवाली के, सर पे धरा ताज है II