मुक्तक-2

1. किसको फुरसत है, मेरा  जख़्मेजिगर देखें लोग,

नज़र पड़ती है, मुख मोड़,  चल देते  है  लोग I

क्या जरूरत उन्हें, कि समय अपना बर्बाद करें,

अपने ही दर्द से परेशाँ , सदा होते है लोग II

2.क़यामत जितनी भी  ढा लो, नहीं मैं  त्याग हूँ सकता,

सितमगर बन सितम ढा  लो, नहीं मैं  भाग हूँ सकता I

खुदा, गर शक है तुमको, आजमा कर देख लो ,

कसम तेरी, नहीं अपनी जुबां से भाग हूँ सकता II

3. खंजर चला, या मार कोड़े सकते हो,

या गोली सीने में उतार सकते हो I

सर कलम, चाहो तो कर दो मेरा,

नहीं अपमान तिरंगे का कर सकते हो II

4. बागडोर देश का उनके हाथ आ गया,

जैसे भी हो, बहुमत उनके साथ आ गया I

भाषण में उनके जोश था, तुम भाव में बहे,

अब पछताये क्यों, जब चिड़ा चुग निकल गया II

5. प्रजातंत्र का क्यों, माखौल करते हो,

अपने मत का, क्यों नहीं सम्मान  करते हो I

कितनी बेशर्मी से, मत अपने बेच देते हो,

गुस्ताखी खुद करो, पर उसे बदनाम करते हो II

6. बेहयायी का मानो, जमाना आ गया,

शर्मोहया अब लुप्त, सारा हो गया I

दीद का पानी, आँखों से अब यूँ उतर गया,

करने को नग्न नृत्य, वो बेकरार हो गया II

7. मैं सुनाता हूँ तुम्हे, नहीं तुम ध्यान हो देते

बताता हूँ सही बातें, नहीं एतबार हो करते I

भॅवर में जा रहे हो डूबने, खुद -ब- खुद ही तू ,

लगोगे डूबने, तब याद होगी, ठीक थे कहते II

8. ऐ आसमाँ, तू हीं बता, क्यों हमें डराते हो,

बादलों की ओट से, क्यों बिजलियाँ  गिराते हो I

रोक मेरा रास्ता, गर रोक सकते हो,

क्यों दूर ऊपर, आसमाँ  से, गड़गड़ाते  हो II

9. न प्रीत कीजिये, बहुत रूलाती  है,

जिगर में घुस, चुपचाप बैठ जाती है  I

एहसास भी न होता , कब आयी,  बैठी,

निकाले नहीं निकलती,  बस सताती है  II

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