भारत माता के वीर पुत्र, तू लौह पुरुष भारत के I
पुत्र धर्म निर्वाह किया, माँ भारती के सुत बन के II
माता के हाथों पड़ी थी बेड़ी, अंग्रेज बनाये थे बंधक I
इतने सारे पुत्रों के रहते, पड़ी कैद बन बेरक्षक II
भारत माता के पुत्र बंटे थे, बहुत-बहुत से टुकड़ों में I
बेटों के भीतर मेल न था, फूटे थे खुद ये अपनों में II
भारत माता के कुछ बेटों में, प्यार जगा करता था मन में I
लगता था जज्बा देश प्रेम का, रह जाता दब कर ही मन में II
बड़ा धूर्त था दुश्मन ब्रिटिश, और बहुत था बलशाली I
आधे से से ज्यादा अवनी पर, उसकी थी मनमानी II
“बांटो और राज करो” सब पर, सिद्धांत यही था उनका I
सूर्य न होता अस्त कभी, साम्राज्य बड़ा था उनका II
नेता एक उभर कर आया, दुबला-पतला और निहत्था I
बल्लभ भाई सहयोगी थे. बापू के पूर्ण समर्थक I
ले चले राह भारत वालों को, बापू थे जिनके प्रवर्तक II
जीत निहत्थों की हो गयी, अंग्रेज छोड़ कर देश गए I
स्वराज मिला, हुई कैद मुक्त भारत माँ, हम आजाद हुए II
प्रथम गृह मंत्री का उनको, गया भार था सौंपा I
जटिल बड़ा था कार्य वो, जो गया उन्हें था सौंपा II
रियासत पाँच सौ बासठ थी, तब बँटा हुआ भारत का I
था विलय कराना, एक बनाना, जटिल कार्य भारत का II
थी सूझ-बूझ अच्छी पटेल की, करतब ऐसा दिखलाया I
रियासत इतने सारों को, संहित कर एक बनाया I
कृष्ण, अशोक और चन्द्रगुप्त के, सपने को पूर्ण कराया I
सारे उन सपनों को, पटेल ने मूर्त रूप में लाया II
कठिन कार्य पूरा करने को, कठिन फैसले थे लेते I
जब सोच लिया करना है, पूरा कर ही दम थे लेते II
पर एक काम सिर दर्द जो अब तक, बचा था करना पूरा I
कश्मीर का पूरा विलय कराना, रह गया था काम अधूरा II
पंडित जी के जिद के आगे, पड़ गया था उनको झुकना I
कश्मीर का जो था मसला, वो अब तक रह गया सुलझना II
सदा रहेगा आभारी यह, वतन तुम्हारा नमन करेगा I
किया काम जो वतन के खातिर, वतन सदा ही स्मरण करेगा II
ऐ भारत के लौह पुरुष, तुम याद सदा आते रहना I
बनूँ तुम्हारा अनुगामी, आशीष सदा देते रहना II
गुण और बहुत से थे तुम में, चाहे कोई कितना सीखे I
दृढ निश्चय, विश्वास अटल का, गुण कोई तुमसे सीखे II
कुछ थोड़ा सा और समय, ऊपर वाले जो दे देते I
तो नक्शा भारत माता का, तुम थोड़ा और बदल देते II
पर ऊपर वाले को भी था, तुमसे कुछ काम कराना I
इसीलिए तुमको जल्दी ही, उनको पड़ा बुलाना II
तुम्हे मिला बस ढाई साल का, वक्त काम करने का I
गृह मंत्री बन भारत माता, की सेवा करने का II
अमिट छाप तूने छोड़ा, इतिहास नहीं भूलेगा I
स्वर्ण अक्षर में तेरी कीर्ति, लिख कर सदा रहेगा II
ऐ लौह पुरुष, तू देवदूत बन, भारत में थे जनम लिए I
जो कठिन कार्य करने थे, करके, स्वर्ग को तुम प्रस्थान किये II
ऐ ऊपर वाले, तेरा तो, काम है लाना, ले जाना I
तेरी इच्छा से ही पड़ती, सब को आना या जाना II
भेज फरिस्ता नभ से जल्द तू , लौह पुरुष सा तेज लिए I
गुण हो सारे उन में पटेल सा, देश प्रेम का ओज़ लिए II
मत देर करो, जल्दी कर, अब आ गयी ज़रूरत है उनकी I
कुछ काम अधूरा पड़ा है अब भी, करनी है जो पूरी II